Nur jahan biography in hindi
बेपनाह खूबसूरत नूरजहां, जो बनी सबसे ताकतवर मुग़ल मलिका
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मुग़ल साम्राज्य को चलाने के लिए जब कोई सम्राट दूर दूर तक नज़र नहीं आ रहा था, तो नूरजहां ने कमान संभाली और सल्तनत की रीढ़ बन गईं.
जन्म के समय उसका नाम मेहर उन निसा यानी मेहरुन्निसा रखा गया था, जिसका मतलब होता है खूबसूरत महिला.
उसका जन्म ब्रिटेन की महारानी एलिज़ाबेथ प्रथम के कुछ दशकों बाद हुआ था, लेकिन उसने ब्रिटेन से कहीं ज्यादा बड़े साम्राज्य पर बेतहाशा राज किया. वह 17वीं शताब्दी में मुगल सल्तनत की सबसे ताकतवर महिला बनी. मुग़ल साम्राज्य को चलाने के लिए जब कोई सम्राट दूर दूर तक नज़र नहीं आ रहा था तब उसने कमान संभाली और रीढ़ बन गई.
उसकी कहानियां भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान समेत कई एशियाई देशों तक फैली हुई हैं.
एशिया के एक लंबे भूभाग पर उसकी निशानियां अब तक बावस्ता हैं. बुज़ुर्गों से लेकर टूर गाइड तक मुग़ल साम्राज्य की इस मलिका की कहानी कहते नहीं थकते.
मेहरुन्निसा का जन्म कंधार (वर्तमान में अफगानिस्तान में) के पास 1577 में एक प्रसिद्ध ईरानी खानदान में हुआ. उनका परिवार ईरान में असहिष्णुता बढ़ने के चलते भागकर मुग़ल साम्राज्य का हिस्सा बनने आ गया था.
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इस मलिका ने हर समय के अनुकूल खुद बेहतरीन तरीके से ढाला.
सत्रह साल की उम्र में 1594 में एक मुगल सरकारी अधिकारी और पूर्व सैन्य अधिकारी से उसकी पहली शादी हुई. वह पूर्वी भारत के एक समृद्ध प्रांत बंगाल चली गईं, और वहां एक बच्चे को जन्म दिया. उसके शौहर का नाम अलीकुली था. वो साहसी ईरानी नवयुवक था.
जहांगीर से युद्ध में मारा गया शौहर
1607 में जहांगीर के सैनिकों के साथ युद्ध में अलीकुली को मार दिया गया.
मेहरुन्निसा को पकड़ कर दिल्ली लाया गया. उसे बादशाह के शाही हरम में भेज दिया गया. यहां वो बादशाह अकबर की विधवा रानी 'सलीमा बेगम' की परिचारिका बनी. यहां उसने धीरे धीरे रनिवास में सबका दिल जीत लिया. वो इतनी खूबसूरत थी कि उसकी सुंदरता के चर्चे फैलने लगे.
जब जहांगीर ने पहली बार उसे देखा
मेहरुन्निसा को जहांगीर ने सबसे पहले नौरोज़ त्योहार पर देखा.
देखते ही वो उस पर मोहित हो गया. जहांगीर ने मई 1611 उससे विवाह कर लिया. वो उसकी 20वीं बेगम बनी. इसके बाद नूरजहां से कोई और शादी नहीं की.
विवाह के बाद जहांगीर ने उसे ‘नूरमहल’ एवं ‘नूरजहां’ की उपाधि प्रदान की. नूरजहां यानी सारे जहां की रौशनाई. नूरजहां में दिमाग भी था और सुंदरता भी. वो बेहद प्रतिभाशाली तो थी ही साथ ही रनिवास में होने वाली चालों में भी माहिर होती चली.
लिहाजा जहांगीर के करीब भी आती गई. जल्दी ही वो ‘पट्टमहिषी’ या ‘बादशाह बेगम’ बना दी गई.
इतिहासकार रूबी लाल की किताब 'दी एस्टोनिशिंग रीन ऑफ़ नूरजहां' के मुताबिक हालांकि उस समय आधिकारिक दरबार के रिकॉर्ड में कुछ ही महिलाओं का उल्लेख किया गया है लेकिन इसमें नूरजहां के साथ जहांगीर के मधुर संबंधों की बात जरूर है.
नूर में जहांगीर को एक संवेदनशील साथी, एक अनुभवी सलाहकार, एक कुशल शिकारी, एक राजनयिक और एक कला प्रेमी बीवी मिली. नूरजहां के निशाने के बारे में कहा जाता है कि ये इतना अचूक होता था कि उसने 1619 में एक ही गोली से शेर को मार गिराया था.
नूर ने संभाली कमान
ये वो समय भी था जब जहांगीर शराब और अफीम के नशे में धुत्त मुग़ल साम्राज्य की भलाई बुराई की सुध छोड़ कला प्रेम में ही मशगूल था.
जहांगीर का होना और न होना एक बराबर था जिससे साम्राज्य खतरे में था. तब नूरजहां ने कमान संभाली और साम्राज्य को चलाने लगी.
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जहांगीर ने नूरजहां को सरकारी कामकाज के अधिकार भी दे दिए थे. इससे उनके परिजन भी खूब फले-फूले लेकिन मुग़लों की शान भी बची रही. धीरे-धीरे वो पर्दे के पीछे से मुगलिया शासन चलाने लगी.
मुगल शासन ने तेजी से विकास किया. सरकारी कामकाज के प्रबंधन के साथ ही नूरजहां ने अपने नाम से सिक्के भी बनवाकर जारी किए. प्रशासनिक कामकाज, महिलाओं के मामले, घरेलू और विदेशी व्यापार, व्यापारियों से कर संग्रह की व्यवस्था पर उसकी दमदार पकड़ थी. उसके फैसलों ने आगरा को कारोबार का गढ़ बना दिया.
कई इतिहासकारों का मानना है कि जहांगीर एक शराबी ज़रूर था, लेकिन ऐसा नहीं था कि उसकी नाकामी कि वजह से ही नूर ने सत्ता संभाली.
असल में, नूर और जहांगीर एक दूसरे के पूरक थे. यह जहांगीर की कामयाबी कही जानी चाहिए कि उसने कभी सह-संप्रभु के रूप में बीवी के बढ़ते प्रभाव से खुद को असहज महसूस नहीं किया.
रूबी लाल लिखती हैं, "बहुत बार नूरजहां को उस शाही बालकनी में भी देखा जाता था जो केवल मुग़ल सम्राट के लिए आरक्षित थी. यहां महिलाओं को आने की इजाज़त नहीं थी लेकिन नूर ने वहां भी अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
हर तरह से नूर उस समय एक ऐसी जिंदगी जी रही थी जो उस समय महिलाओं के बीच असामान्य थी."
अलग पहचान बनाई
नूरजहां की पारिवारिक पृष्ठभूमि में कला और साहित्य था, जिसे मुग़ल साम्राज्य में बहुत अहमियत मिली. नूरजहां ने अपने साहित्य सृजन से अलग पहचान बनाई. इत्र-निर्माण, जेवरात, परिधान के विकास में अहम योगदान दिया. नूरजहां के काल में कई मिनिएचर पेंटिंग्स भी बनीं, जो मुगल कला पद्धति का बेजोड़ नमूना है.
जालंधर में नूर महल सराय इसका एक खूबसूरत नमूना है.
1627 में जहांगीर की मृत्यु के बाद बेटे शाहजहां ने अपनी सौतेली मां को केवल महल तक ही सीमित कर दिया. नूर के पास ना वो शक्तियां रहीं और ना ही वैसा जज़्बा. वो 18 साल जहांगीर के बगैर जिंदा रहीं. साहित्य और कला में सृजन जारी रखा.
इसलिए हुई शाहजहां से अनबन
हालांकि नूरजहां ने खुद ही अपनी भतीजी मुमताज का निकाह शाहजहां से कराया था.
लेकिन पहले पति से पैदा अपनी बेटी की शादी जहांगीर के सबसे छोटे बेटे शहरयार से कराई. जहांगीर के साथ नूर की कोई संतान नहीं थी. लिहाजा वो शहरयार को ही राज सिंहासन पर बैठाना चाहती थी. ये नहीं हो सका. शाहजहां ने उसकी चालों को नाकाम कर दिया. यही वजह भी है कि शाहजहां से उसके संबंध कभी बहुत अच्छे नहीं बन पाए.
हरम की महरुन्निसा से मुग़ल साम्राज्य की सबसे ताकतवर महिला नूरजहां होने तक का सफर किसी जादू से काम नहीं लगता.
1645 में नूरजहां का निधन हुआ. लाहौर में जहांगीर के मकबरे के करीब ही शाहदरा में उसे दफनाया गया.
September 20, 2018, 13:58 IST
बेपनाह खूबसूरत नूरजहां, जो बनी सबसे ताकतवर मुग़ल मलिका
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