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बाल मुकुंद गुप्त का जीवन परिचय। balmukund gupt ka jeevan parichay। Balmukund gupt Hindi।



 जीवन-परिचय

-समूचे भारत के मानस के चितेरे बाबू बालमुकुंद गुप्त का जन्म 14 नवंबर, 1865 ई.

को हरियाणा के झज्जर/रेवाड़ी  जिले के गाँव गुडियानी में हुआ इनके पिता का नाम पूरणमल गोयल था। इनका परिवार बख्शी राम बालों के नाम से प्रसिद्ध था। पन्द्रह वर्ष की आयु में इनका विवाह रेवाड़ी के एक प्रतिष्ठित परिवार में अनार देवी से हुआ।

अखबार-ए-चुनार' तथा 'कोहेनूर' का सम्पादन किया। 

ये दोनों पत्र उर्दू में थे। इसके बाद उन्होंने तीन दैनिक पत्रों-'हिन्दोस्तान', 'हिन्दी बंग बासी' और 'भारत मित्र' का भी विधिवत् सम्पादन किया। यही नहीं वे 'भारत प्रताप' तथा 'भारत मित्र' पत्रों से भी जुड़े हुए थे, इसलिए इनको सफल पत्रकार भी कहा जाता है। 42 वर्ष की अल्पायु में सन् 1907 ई.

में गुप्त जी का देहान्त हो गया। 

2. रचनाएँ-बाबू बालमुकुंद गुप्त मुख्य रूप से एक पत्रकार तथा कुशल संपादक थे। फिर भी इन्होंने अपनी लेखनी से हिंदी गद्य व पद्य के विकास में भरपूर योगदान दिया। इनकी मुख्य रचनाएँ इस प्रकार हैं

(i) निबंध संग्रह- "शिवशंभु के चिट्ठे', 'चिट्ठे और खत', 'खेल तमाशा'।

(ii) काव्य संग्रह- स्फुट कविताएँ

3.

साहित्यिक विशेषताएँ

-गुप्त जी ने प्रायः राष्ट्रीय चेतना से ओत-प्रोत साहित्य की रचना की है। अच्छी हिंदी बस एक व्यक्ति लिखता था।"

इनके साहित्य की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं

 (i) देश प्रेम की भावना- 

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  गाँधीवादी विचारधारा का प्रतिपादन-

"अपना बोया आप ही खावें, अपना कपड़ा आप बनायें।

बढ़े सदा अपना व्यापार, चारों दिस हो मौज बहार।

माल विदेशी दूर भगावें, अपना चरखा आप चलावें। कभी न भारत हो मुँहताज, सदा रहे टेसू का राज"

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(iii) ब्रिटिश साम्राज्यवाद का विरोध

है कानून जबान हमारी, जो नहीं समझे वे अनाड़ी। हम जो कहें वही कानून, तुम तो हो कोरे पतलून

(iv) समाज सुधार पर बल

(v) इतिवृत्तात्मकता- 

टोरी जावें लिबरल आयें होती है, भई होती है। भारतवासी खैर मनायें होती है, भई होती है।

लिबरल जीते टोरी हारे हुए माली सचिव हमारे। भारत में तब बजे नगारे होती है, भई होती है।

(vi) अनुवाद कार्य-

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भाषा-शैली

उन्होंने प्रायः विचारात्मक, व्यंग्यात्मक तथा नवीन विवेचनात्मक

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